प्रपंच
आणि संसार यात श्रीसमर्थांनी
पुष्कळवेळा भेद मानला आहे. हा भेद विचारांत न घेता, श्रीसमर्थ रामदासानी प्रपंचाची जी
तरफदारी केली आहे तिचा उपयोग संसारी लोक स्वतःच्या वर्तनाचे समर्थन करण्यासाठी करत
असतात. संसारी
लोकांनी हा भेद समजून घ्यावा, आणि प्रपंच नेटका करावा. जीवनाचे सार्थक करावे-
इति स. भ. शंकर देव.
श्रीराम !
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